बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र
प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. राज्य सभा की संरचना (गठन) पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
2. राज्य सभा का कार्यकाल बताते हुए सदस्यों की योग्यतायें बतायें।
3. राज्य सभा की विधायी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
4 राज्य सभा के दो विशिष्ट अधिकारो पर प्रकाश डालें।
5. 'राज्य सभा द्वितीय सदन नहीं, द्वितीय श्रेणी का सदन है। पुष्टि कीजिए।
6. राज्य सभा की वित्तीय शक्तियों पर एक टिप्पणी कीजिए।
7. राज्य सभा की शक्तियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
राज्य सभा की संरचना
भारतीय संसद के उच्च सदन को राज्य सभा कहा जाता है। संविधान के अनुच्छेद 80(A) के अनुसार, राज्य सभा में अधिकतम 250 सदस्य होंगे जिनमें 238 सदस्य राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रो से निर्वाचित होगे। इसके अतिरिक्त 12 व्यक्ति राष्ट्रपति द्वारा ऐसे क्षेत्रों से मनोनीत किये जायेंगे जो साहित्य, कला, विज्ञान एवं समाजसेवा में विशेष योग्यता एवं अनुभव रखते हो। राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अंतर्गत एकल सक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है जबकि केन्द्र शासित प्रदेशों को प्रतिनिधित्व देने के लिए चुनाव ससद द्वारा निर्मित नियमों द्वारा किया जाता है।
राज्य सभा का कार्यकाल - राज्य सभा एक स्थायी सदन है। इसका कभी विघटन नहीं होता। राज्य सभा के सदस्य 6 वर्ष के लिए चुने जाते हैं तथा एक तिहाई सदस्य प्रति दो वर्ष पश्चात् अवकाश ग्रहण करते हैं।
राज्य सभा सदस्यों की योग्यतायें - राज्य सभा की सदस्यता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यतायें होनी चाहिए-
1. वह भारत का नागरिक होना चाहिए,
2. उसकी आयु 30 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए, 3. किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए,
4. दिवालिया या पागल नहीं होना चाहिए,
5. ऐसी अन्य योग्यतायें होनी चाहिए जो संसद निर्धारित करे,
6. उस राज्य का मतदाता होना चाहिए, जिससे वह चुनाव लड़ रहा हो।
राज्य सभा के कार्य एवं शक्तियाँ - राज्य सभा के कार्य एवं शक्तियाँ निम्न प्रकार है -
1. विधायी शक्तियाँ - साधारण विधेयक के संबंध में राज्यसभा एवं लोकसभा दोनों को समान अधिकार प्राप्त है। कोई भी साधारण विधेयक यद्यपि किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है, किन्तु सामान्यतः वह लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जाता है। लोकसभा द्वारा पारित किये जाने के बाद विधेयक राज्य सभा में भेजा जाता है, जहाँ से पारित होने के बाद विधेयक राष्ट्रपति के पास उसकी स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है।
यदि किसी विधेयक के सम्बन्ध में दोनों सदनों में मतभेद उत्पन्न हो जाता है तो ऐसी स्थिति में महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आहूत की जाती है। संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा की जाती है। संयुक्त बैठक में विधेयक पर मतदान के द्वारा बहुमत के आधार पर निर्णय किया जाता है। यद्यपि इस प्रक्रिया में दोनों सदनों का समान महत्व रहता है किन्तु राज्यसभा लोकसभा की अपेक्षा कमजोर पाई जाती है। क्योंकि संयुक्त अधिवेशन राष्ट्रपति मन्त्रिपरिषद तथा प्रधानमन्त्री की सलाह पर ही आहूत करता है और मन्त्रिपरिषद लोकसभा के प्रति ही उत्तरदायी होती है। दूसरे यह कि संयुक्त बैठक से विधेयक पर बहुमत के आधार पर निर्णय किया जाता है और लोकसभा सदस्यों की संख्या राज्यसभा सदस्यों से अधिक होने के कारण इसमें भी राज्यसभा कमजोर ही दिखती है।
2. कार्यपालिका शक्तियाँ - राज्य सभा की कार्यपालिका शक्तियाँ लोकसभा की तुलना में बहुत कम हैं। चूँकि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। अतः राज्य सभा के सदस्य मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव लाकर उसे पदच्युत नहीं कर सकते। हालाँकि राज्य सभा सदस्य मंत्रियों से प्रश्न व पूरक प्रश्न पूछकर उनकी आलोचना अवश्य कर सकते है।
3. वित्तीय शक्तियाँ - राज्य सभा को यद्यपि कुछ वित्तीय शक्तियाँ भी प्राप्त हैं, किन्तु इस संबंध में पर्याप्त सीमायें हैं। कोई भी वित्त विधेयक राज्य सभा में प्रस्तावित नहीं किया जा सकता तथा उसमें किसी प्रकार के संशोधन या अस्वीकृत का इसे कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। राज्य सभा वित्त विधेयक को मात्र 14 दिन तक रोक सकती है। इसके अतिरिक्त राज्य सभा के सभापति (उपराष्ट्रपति) को यह निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त नहीं है कि कोई विधेयक वित्त विधेयक है या नहीं? वित्त विधेयक को प्रमाणित करने का अधिकार लोकसभा अध्यक्ष को प्राप्त है।
4. संविधान संशोधन की शक्ति - संविधान संशोधन के प्रश्न पर राज्य सभा एवं लोकसभा को समान शक्तियाँ प्राप्त हैं। संविधान संशोधन विधेयक किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है
5. विविध शक्तियाँ - राज्य सभा अपनी कुछ शक्तियों का प्रयोग लोकसभा के साथ करती है। ऐसी शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं -
(i) राष्ट्रपति का चुनाव,
(ii) राष्ट्रपति द्वारा जारी की गयी आपातकाल की उद्घोषणा का अनुमोदन,
(iii) राष्ट्रपति तथा उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों पर महाभियोग,
(iv) राष्ट्रपति द्वारा जारी किये गये अध्यादेशों का अनुमोदन,
(v) उपराष्ट्रपति का चुनाव,
(vi) उपराष्ट्रपति की पदमुक्ति।
6. राज्य सभा की विशिष्ट शक्तियाँ - राज्य सभा को दो ऐसी शक्तियाँ प्राप्त हैं जो लोकसभा को प्राप्त नहीं हैं। ये निम्नवत हैं-
(i) संविधान के अनुच्छेद 249 के अनुसार यदि राज्य सभा, उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर दे, तो संसद को ऐसे विषय पर संपूर्ण भारत के लिए अथवा क्षेत्र विशेष के लिए विधि बनाने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
(ii) संविधान के अनुच्छेद 312 के अनुसार, राज्य सभा अपने 2/3 बहुमत से किसी नई अखिल भारतीय सेवा का सृजन कर सकती है। अखिल भारतीय सेवा से आशय ऐसी सेवा से है जो संघ एवं राज्य दोनों के लिए हो।
आलोचनात्मक टिप्पणी- राज्य सभा के उपरोक्त कार्य एवं शक्तियों के आधार पर कहा जा सकता है कि राज्य सभा द्वितीय सदन नहीं अपितु द्वितीय श्रेणी का सदन है। शक्ति संपन्नता की दृष्टि से विद्वानों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि राज्य सभा संसार का निर्बलतम् द्वितीय सदन है। वित्तीय मामलों में यह नितान्त शक्तिहीन है और साधारण विधेयक में भी यह मात्र थोडा विलम्ब कर सकती है। आलोचकों का मानना है कि यदि राज्य सभा को समाप्त कर दिया जाये तो हमारे दैनिक संसदीय कार्यों में कोई अन्तर नहीं आयेगा तथा राज्य सभा द्विसदनात्मक संसद के आधुनिक फैशन की पूर्ति मात्र है।
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- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम 1935 पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट- 1928 पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
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- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
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- प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- हमारे देश में नीति निर्देशक तत्वों का कार्यान्वयन कहाँ तक हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के उन नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- भारतीय संसद की संविधान संशोधन की शक्ति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अनुच्छेद 356 चौवालीसवें संविधान संशोधन विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को समझाइये, उसे अपने पद से कैसे हटाया जा सकता है तथा राष्ट्रपति के पद रिक्तता की स्थिति में उसके कार्यों को कैसे सम्पादित किया जाता है?
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- प्रश्न- भारत में मंत्रिपरिषद के गठन, कार्य व शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में मंत्रिमंडलीय प्रणाली की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति पद की योग्यतायें, कार्यकाल तथा निर्वाचन पद्धति बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या भारतीय राष्ट्रपति 'रबर स्टैम्प' है? पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- अनुच्छेद 356 पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री की विशिष्ट स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रधानमन्त्री के प्रभुत्व से वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालक के रूप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री और संसद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमन्त्री की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की शक्तियों एवं स्थिति का विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संसद में कानून निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार संक्षेप में बतायें।
- प्रश्न- राज्य सभा के पदाधिकारियों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा के क्या विशेषाधिकार हैं?
- प्रश्न- धन विधेयक एवं वित्त विधेयक के मध्य भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संसदीय व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की नियुक्ति एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकीय कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की भूमिका अथवा स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? उसकी राज्य के शासन में क्या भूमिका और स्थिति है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति, उसके अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए एवं मन्त्रिपरिषद एवं विधानसभा के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल, मंत्रिपरिषद तथा मुख्यमंत्री के आपसी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'केन्द्रीय अभिकर्ता' के रूप में राज्यपाल की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- राज्यपाल का निर्वाचन क्यों नहीं होता? संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान के अनुच्छेद 356 के संदर्भ में राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री / मन्त्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मुख्यमंत्री चयन की राजनीति टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विधानसभा की रचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विधान परिषद की रचना किस प्रकार होती है? उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक समीक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, शक्तियों और कार्यों की विवेचना कीजिए। इसे भारतीय संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के गठन एवं न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल,शपथ एवं स्थानान्तरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'सामाजिक न्याय' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- न्याय पुनः निरीक्षण की शक्ति तथा उच्च न्यायालयों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र तथा राज्यों के बीच सम्बन्धों के सुधार के लिए आप किन उपायों को आवश्यक समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य स्वायत्तता (Autonomy) से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- 'सहकारी संघवाद' (Co-operative Federalism) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के गठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संविधान की 5वीं एवं 6ठी अनुसूची किन क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की छठी अनुसूची किन क्षेत्रों से सम्बन्धित विशेष प्रावधान करती है?
- प्रश्न- संविधान में आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधान क्यों रखे गये? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों को लागू इनर-लाइन परमिट क्या है?
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन आयोग के संगठन एवं कार्यों अथवा शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।